इलाहाबाद हाईकोर्ट और ज्ञानवापी परिसर की फाइल तस्वीरेंइलाहाबाद हाईकोर्ट और ज्ञानवापी परिसर की फाइल तस्वीरें

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PRAYAGRAJ AND VARANASI ZONE BUREAU: वाराणसी के काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज बड़ा आदेश दिया है। इस आदेश में हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। साथ ही साल 1991 के मुकदमे को ट्रायल की मंजूरी दे दी है। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने मालिकाना हक विवाद के मुकदमों को चुनौती देने वाली सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिकाएं खारिज कर दी। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमा देश के 2 प्रमुख समुदायों को प्रभावित करता है और राष्ट्रीय महत्व का है।

इस दौरान हाईकोर्ट ने वाराणसी के डिस्ट्रिक्ट ट्रायल कोर्ट को 6 महीने में मुकदमे का फैसला करने का भी निर्देश दिया है। बता दें कि हाईकोर्ट का ये फैसला वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ASI की ओर से ज्ञानवापी परिसर की सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करन के एक दिन बाद आया है। 3 अगस्त 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी।

साथ ही बता दें कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दलील थी कि पूजा स्थल अधिनियम (विशेष प्रावधान) 1991 के तहत इस मामले में सुनवाई नहीं हो सकती। पूजा स्थल अधिनियम (विशेष प्रावधान) 1991 के तहत ये प्रावधान किया गया था कि किसी भी धर्म के पूजा स्थल का जो अस्तित्व 15 अगस्त 1947 के दिन तक था, वही बाद में भी रहेगा।  

साल 1991 से चल रही कानूनी लड़ाई
काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी केस में पहला मुकदमा साल 1991 में वाराणसी कोर्ट में दाखिल हुआ था। याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई है। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल हैं। मुकदमा दाखिल होने के कुछ महीने बाद सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने पूजा स्थल कानून बना दिया था, जिसके तहत 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। ऐसा करने पर 1 से 3 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया। अयोध्या के राम जन्म भूमि का मामला उस वक्त कोर्ट में था, इसलिए उसे इस कानून से अलग रखा गया, लेकिन ज्ञानवापी मामले में इसी कानून का हवाला देकर मस्जिद कमेटी ने याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद साल 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था, लेकिन साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी मामले में स्टे ऑर्डर की वैधता 6 महीने के लिए ही होगी। उसके बाद ऑर्डर प्रभावी नहीं रहेगा। इसी आदेश के बाद 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई और साल  2021 में वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी मिली। आदेश में एक कमीशन नियुक्त किया गया। इस कमीशन को 6 और 7 मई 2021 को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए गए। साथ  10 मई 2021 तक कोर्ट ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी गई। 6 मई को पहले दिन के सर्वे के साथ ही मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया और 7 मई को मामला फिर कोर्ट पहुंचा। 12 मई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने कमिश्नर बदलने की मांग खारिज कर दी और 17 मई तक सर्वे का काम पूरा करवाकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि जहां ताले लगे हैं, वहां ताला तुड़वा दिया जाए। अगर कोई बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई की जाए, लेकिन सर्वे का काम हर हालत में पूरा होना चाहिए। इस बीच 14 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उस याचिका पर फौरन सुनवाई से इंकार कर दिया, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई थी। 14 मई से ही ज्ञानवापी के सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ। सभी बंद कमरों से लेकर कुएं तक की जांच हुई। इस दौरान वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी हुई। 16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ। इसके बाद हिंदू पक्ष ने इसके वैज्ञानिक सर्वे की मांग की, जिसका मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया। 21 जुलाई 2023 को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने हिंदू पक्ष की मांग को मंजूरी देते हुए ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दे दिया। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो हाईकोर्ट जाने के लिए कहा गया। इस मामले में 3 अगस्त 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी।

By Sandeep Kumar Srivastava

Mr. Sandeep Kumar Srivastava is a media professional and educator. He has more than 15 years of journalistic experience. He was attached with the newsroom of many reputed media houses in BHARAT. He worked as a News Anchor, News Producer and Correspondent. He is very well known for his news and program presentation skills in Television and Digital Media. He is Founder and Editor-In-Chief of UTTAR PRADESH HIGHLIGHTS. E-Mail: tvjournalistsandeepsrivastav@gmail.com

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