LUCKNOW ZONE BUREAU: 4 जून 2024 को आए लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति पूरे देश में चर्चा के केंद्र में है। लोकसभा चुनाव में जहां एक ओर केंद्र और उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (B.J.P.) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (N.D.A.) को अपेक्षा से कम सीटें मिलीं, वहीं विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A.) में शामिल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में ज्यादा सीटें मिलीं तो उसे ये अपनी बड़ी जीत के तौर पर देखने लगी। इसके साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तो अभी 2.5 साल से ज्यादा का वक्त है, लेकिन उससे पहले होने वाले उपचुनाव को ‘लिटमस टेस्ट’ की तरह देखे जाने लगे हैं। उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों (मिल्कीपुर, कटेहरी, फूलपुर, मझवां, गाजियाबाद सदर, मीरापुर, खैर कुंदरकी और सीसामऊ ) के लिए उपचुनाव होने हैं। इसमें सीसामऊ सीट समाजवादी पार्टी के विधायक के अयोग्य घोषित होने से खाली हुई है, वहीं बाकी 9 सीट विधायकों से सांसद बन जाने से खाली हुई है। इन 10 में से 5 विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था, वहीं, बाकी 5 सीटें BJP और उसके सहयोगी दलों के पास थीं। हालांकि, अभी इन सीटों पर उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने उपचुनाव की तैयारियां तेज कर दी है।
उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) उपचुनाव को अपने लिए बेहद अहम मानकर तैयारियां कर रही है। दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद उपचुनाव में बड़ी जीत हासिल करके BJP संदेश देना चाहती है कि उसकी पकड़ अभी भी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं पर मजबूत है और 2027 के विधानसभा चुनाव में भी वो मजबूत स्थिति में ही रहेगी। ऐसे में उपचुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अपने आवास पर अहम बैठक की, जिसमें सरकार और संगठन से जुड़े कई नेता शामिल हुए। इस दौरान उपचुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा करने के साथ ही मंत्रियों को जिम्मेदारियां दी गई। बैठक में 1 सीट की जिम्मेदारी 3 मंत्रियों को दी गई है। कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब तक उपचुनाव समाप्त नहीं हो जाएं, तब तक सभी मंत्रियों को अपने प्रभारी क्षेत्र में हफ्ते में 2 दिन रात्रि विश्राम करने के निर्देश दिए हैं। सभी प्रभारी मंत्रियों को ये भी निर्देश दिए गए हैं कि हर एक ग्रुप को कार्यकर्ताओं के साथ बात करनी है और सबसे ज्यादा फोकस बूथ को मजबूत करने पर होना चाहिए।
इस बैठक में दोनों उपमुख्मंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक शामिल नहीं हुए। इसको लेकर जब सवाल उठे तो बताया गया कि दोनों उपमुख्मंत्रियों को किसी भी विधानसभा सीट की जिम्मेदारी फिलहाल नहीं सौंपी गई है, इसलिए उन्हें बैठक में नहीं बुलाया गया। बता दें कि एक महीने के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में हुई कैबिनेट और अन्य बैठकों में भी केशव प्रसाद मौर्य नहीं पहुंचे हैं। वो ज्यादातर दिल्ली में ही रहे और उनके शीर्ष नेतृत्व से मिलने की खबरें आती रहीं।
ऐसे में एक बड़ा सवाल और चर्चाओं का विषय BJP की अंदरूनी राजनीति को लेकर बना हुआ है। इस बीच संगठन में भी फेरबदल की चर्चा होने लगी है। दरअसल, ऐसी चर्चा भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के उन बयान के बाद तेज हो गई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार से बड़ा संगठन होता है। सोमवार को निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने भी केशव प्रसाद मौर्य के बयान का समर्थन किया था।
सूत्रों के मुताबिक इन सभी बातों को लेकर BJP के आला नेताओं ने नाराजगी जताई। ऐसे में BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को दिल्ली बुलाकर बात की। सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं को सरकार और संगठन के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने की चर्चाओं पर तत्काल विराम लगाने को कहा गया है। साथ ही विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जुटने को कहा गया है।
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