उत्तराखंड में 17 दिनों के संघर्ष के बाद टनल से सुरक्षित निकाले गए मजदूरउत्तराखंड में 17 दिनों के संघर्ष के बाद टनल से सुरक्षित निकाले गए मजदूर

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HIGHLIGHTS NEWS NETWORK: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में उन 41 मजूदरों को जान बचा ली गई है, जो दिवाली के दिन (12 नवंबर 2023) सुबह करीब 5:30 बजे निर्माणाधीन टनल में फंस गए थे। सिल्क्यारा छोर से टनल में फंसे मजूदरों को काफी संघर्ष के बाद 17वें दिन रैट माइनर्स की मदद से सुरक्षित निकाला गया और फिर इलाज के लिए फौरन एंबुलेस के जरिए अस्पताल पहुंचाया गया।

वहीं, मंगलवार शाम आई इस अच्छी ख़बर के बाद प्रशासन और मजदूरों के परिजनों के साथ ही सभी ने राहत की सांस ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बचाए गए मजदूरों से फोन पर बात की। उन्होंने बातचीत के दौरान सभी के हौसले की तारीफ की। वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजदूरों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है। जिसके बाद सभी मजदूरों को 1-1 लाख रुपये की सहायता राशि दी जा रही है। इस दौरान मंगलवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री वीके सिंह भी सिलक्यारा पहुंचे थे और सभी का हौसला बढाया था।

टनन से सुरक्षित निकाले गए 41 मजदूरों में 8 उत्तर प्रदेश, 2 उत्तराखंड, 5 बिहार, 15 झारखंड,  3 पश्चिम बंगाल, 5 ओडिशा, 2 असम और एक हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं। मजदूरों के टनल में फंसे रहने के दौरान लंबे वक्त तक हताशा सहने वाले परिवारों ने इस ख़बर के बाद जमकर जश्न मनाया और सरकार को धन्यवाद दिया। मजदूरों के परिवार वालों ने पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी जाहिर की।  सिल्कयारा सुरंग के इस सफल बचाव अभियान के बाद आज शाम देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आवास पर ‘इगास बग्वाल’ भी मनाया जाएगा।

17 दिनों तक चला संघर्ष और फिर मिली सफलता

श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सबसे पहले ऑगर मशीन लगाई गई थी। शुरुआत में जिस जगह ऑगर मशीन लगाई गई थी, आखिर में उसी जगह से रैट माइनर्स की मदद से मजदूरों को बाहर निकाला गया। यहां रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 17 दिनों तक संघर्ष चला।  ऑगर मशीन कई बार रुकी, उसके कई पार्ट्स काटकर निकालने पड़े और टनल में कंपन भी हुआ। वर्टिकल ड्रिलिंग और टनल के दूसरे छोर को भी खोलने की कवायद की गई। इस दौरान जब अमेरिका की ऑगर मशीन ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया तो रैट माइनर्स की इस ऑपरेशन में मदद ली गई। विशेषज्ञों का ये फैसला सही साबित हुआ। पाइप में दिन-रात मैनुअल ड्रिलिंग कर रैट माइनर्स ने मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।

नज़ीर बन गई है सभी 41 मजदूरों की जिंदादिली

ऑपरेशन सिलक्यारा के दौरान टनल में सभी 41 मजदूरों की जिंदादिली भी एक नज़ीर बन गई है। दिवाली के दिन हादसे के बाद मजदूरों की आवाज सुनने के लिए केवल 4 इंच का एक पाइप ही जरिया था। बात हुई तो पता चला कि सभी जिंदा हैं। इसके बाद टनल में मजूदरों खाने का इंतजाम किया गया और उन्हें निकालने के लिए संघर्ष किया जाता रहा। इस दौरान टनल में फंसे मजदूरों हताश नहीं हुए। 9 दिन उन तक ड्राई फ्रूट्स, चने जरूरी दवाईयां और खाने के अन्य सामान पहुंचाए गए और उन्होंने टनल के अंदर बह रहे पानी का इस्तेमाल किया। इस दौरान कई मजदूरों को पेट दर्द होने की भी बात कही, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं हारा। इस दौरान डॉक्टर और मनोचिकित्सक भी उनका हौसला बढ़ाते रहे।

By Sandeep Kumar Srivastava

Mr. Sandeep Kumar Srivastava is a media professional and educator. He has more than 15 years of journalistic experience. He was attached with the newsroom of many reputed media houses in BHARAT. He worked as a News Anchor, News Producer and Correspondent. He is very well known for his news and program presentation skills in Television and Digital Media. He is Founder and Editor-In-Chief of UTTAR PRADESH HIGHLIGHTS. E-Mail: tvjournalistsandeepsrivastav@gmail.com

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