HIGHLIGHTS NEWS DESK: पितृ पक्ष हिंदू कैलेंडर के छठे महीने यानी भाद्रपद महीने में आता है। हर साल भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि के साथ पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। वहीं, इसका समापन अश्विन माह की अमावस्या तिथि पर होता है। पितृपक्ष की अवधि 16 दिनों की होती है। पंचांग के अनुसार इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से हुई है और इसका समापन 2 अक्टूबर को होगा।
इस लेख में डॉ. वैशाली जैन ने पितृ पक्ष के महत्व के साथ ही कुछ नियमों के पालन के बारे बताया है। बता दें कि डॉ. वैशाली जैन आध्यात्मिक गुरु और टैरोकार्ड रीडर हैं। इस लेख में उनके निजी आध्यात्मिक विचार शामिल हैं।
डॉ. वैशाली जैन ने बताया कि पितृपक्ष को बहुत महत्वपूर्ण समय माना जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों की पूजा कर पिंडदान करते हैं। साथ ही श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। जो पितृ पक्ष में श्राद्ध करते हैं, उनको खानपान के नियमों का भी पालन जरूर करना चाहिए।
तिथि के आधार पर लोग अपने पूर्वजों की मानसिक शांति के लिए उनका श्राद्ध और तर्पण करते हैं। माना जाता है कि तर्पण करने से पितरों को भोजन और जल प्राप्त होता है, जिससे उन्हें खुशी मिलती है और उनके परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए रोज दीपक जलाना भी बहुत जरूरी होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से वे खुश होकर अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
पितृ पक्ष में पूजा-पाठ के दौरान पितृ चालीसा का पाठ और पितृ मंत्रों का जप करना चाहिए। ब्रह्मचर्य नियमों का पालन करें। गरीब लोगों में श्रद्धा अनुसार अन्न, धन और वस्त्र का दान करना चाहिए। पितरों को भोजन अर्पित करना चाहिए। पूजा के दौरान पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए कामना करें। पशु-पक्षियों के लिए दाना डालना चाहिए। पितृ पक्ष में रोजाना गीता का पाठ करना चाहिए। तर्पण के दौरान कुश और काले तिल का इस्तेमाल करना चाहिए। गंगा स्नान करना शुभ माना जाता है।
पितरों के लिए भोजन बनाते समय अपना मुख पूर्व दिशा की तरफ रखना चाहिए। दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके भोजन बनाना अशुभ माना जाता है।पितृ पक्ष में लहसुन-प्याज का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा मांस-मदिरा का सेवन भी नहीं करना चाहिए। साथ ही तांबे और पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। किसी के प्रति मन में गलत विचार धारण नहीं करने चाहिए। किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करें।।किसी इंसान से बातचीत के दौरान अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करें। इसके अलावा बाल और दाढ़ी काटने की भी मनाही होती है।
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