PRAYAGRAJ AND AGRA-MATHURA ZONE BUREAU: इलहााद हाईकोर्ट ने आज (1 अगस्त 2024) को मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में लंबित 18 सिविल वादों के सुनवाई योग्य होने को लेकर फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल इन 18 सिविल वादों को पोषणीय बताया है। इसके बाद अब 12 अगस्त से हाईकोर्ट में इन मामले से जुड़े सभी सिविल वादों की सुनवाई शुरू होगी।  

इस तरह हाईकोर्ट का ये फैसला हिंदू पक्ष में गया है और मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है। इस मामले में हिंदू पक्षकारों ने दलील दी है कि ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है। शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है। श्रीकृष्ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है। वहीं, मुस्लिम पक्षकारों ने दलील दी है कि इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है। लिहाजा मुकदमा चलने योग्य नहीं है।उपासना स्थल कानून यानी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है।

बता दें कि मुस्लिम पक्ष की ओर से सभी सिविल वादों की पोषणीयता को लेकर दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत ने कई दिनों तक लंबी सुनवाई की थी। इसके बाद जून में फैसला सुरक्षित कर लिया था। गुरुवार को आए इस फैसले के बाद मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। वहीं, मु्स्लिम पक्ष अब हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह को लेकर ये है विवाद

हिंदू पक्ष के सिविल वाद शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाकर जमीन का कब्जा देने और मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की मांग को लेकर दायर किए गए हैं। दावा है कि मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली पर बने मंदिर को कथित तौर पर ध्वस्त करने के बाद किया गया है। इसलिए इस विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा का अधिकार है। वहीं, वादियों की विधिक हैसियत पर सवाल खड़ा करते हुए मुस्लिम पक्ष का कहना है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और शाही ईदगाह कमेटी के बीच कोई विवाद नहीं है। विवाद खड़ा करने वाले पक्षकारों का जन्मभूमि ट्रस्ट और ईदगाह कमेटी से कोई रिश्ता, वास्ता और सरोकार नहीं हैं। इसके अलावा ये भी तर्क दिया है कि ईदगाह स्थल वक्फ की संपत्ति है। 15 अगस्त 1947 को ये मस्जिद कायम थी। पूजा का अधिकार अधिनियम के तहत अब धार्मिक स्थल का स्वरूप बदला नहीं जा सकता। लेकिन, कई महीने की लंबी बहस के बाद इलाहाबाद हाइकोर्ट ने लंबित 18 सिविल वादों के सुनवाई योग्य होने को लेकर फैसला सुना दिया है।

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By Sandeep Kumar Srivastava

Mr. Sandeep Kumar Srivastava is a media professional and educator. He has more than 15 years of journalistic experience. He was attached with the newsroom of many reputed media houses in BHARAT. He worked as a News Anchor, News Producer and Correspondent. He is very well known for his news and program presentation skills in Television and Digital Media. He is Founder and Editor-In-Chief of UTTAR PRADESH HIGHLIGHTS. E-Mail: tvjournalistsandeepsrivastav@gmail.com

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