HIGHLIGHTS NEWS DESK:आज यानी 29 सितंबर 2024 को वर्ल्ड हार्ट डे है। वर्ल्ड हार्ट डे मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को हृदय से संबंधित बीमारियों (कार्डियोवैस्कुलर डिजीज़) के प्रति जागरूक करना और हृदय को सेहतमंद बनाए रखने के लिए स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा देना होता है। वर्ल्ड हार्ट डे मनाने की शुरुआत साल 2000 से हुई थी। शुरुआत में इसे सितंबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता था, लेकिन साल 2011 से इसे हर साल 29 सितंबर को तय कर दिया गया।
विश्व हृदय महासंघ ने वर्ल्ड हार्ट डे की शुरुआत की थी, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित कई अन्य स्वास्थ्य संगठनों ने स्वीकार किया। इस बार वर्ल्ड हार्ट डे की थीम यूज हार्ट फाॅर एक्शन है। इसके तहत अभियान चलाकर लोगों को हृदय के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ये अभियान 2026 तक चलेगा।
इस लेख में डॉक्टर सतेंद्र कुमार ने हृदय से जुडी बीमारियों के बारे में जागरुक करते हुए कुछ सलाह दी है। बता दें कि डॉक्टर सतेंद्र कुमार नोएडा में जनरल फिजिशियन हैं। उनसे मोबाइल नंबर +91- 8448011769 के जरिए संपर्क किया जा सकता है।
डॉक्टर सतेंद्र कुमार के मुताबिक पूरी दुनिया में हृदय से जुडी बीमारियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और ये कम उम्र में मौत का कारण भी बन रही है। हमारे देश भारत में भी पिछले 10 साल के दौरान के आंकड़ों पर नज़र डालेंगे तो पाएंगे कि हृदय के मरीजों की औसत उम्र तेजी से घट रही है। भारत हार्ट पेशेंट की राजधानी बन गया है। आज भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा हार्ट फेलियर के मरीज हैं। हार्ट फेलियर के बाद औसत जीने की उम्र 5 साल से भी कम रह जाती है और मरीज को साल में 3-4 बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। ऐसे में हृदय रोगों से बचने के लिए लोगों को लगातार जागरूक करना जरूरी है।
दिल्ली-एनसीआर सहित कई मेट्रो शहरों में हृदय संबंधित बीमारियां युवाओं में तेजी से बढ़ रही है। मेट्रो शहरों की तनावपूर्ण, अस्थिर और गलत जीवनशैली के साथ ही खान-पान की वस्तुओं में मिलावट और गलत चयन भी लोगों को हृदय का रोगी बना रहा है। शरीर धीरे-धीरे हृदय से संबंधित बीमारियों का मरीज होते जाने का लगातार संकेत भी देता है, लेकिन लापरवाही जल्द मृत्यु की वजह बन जाती है।
लंबे वक्त तक या बार-बार तनावयुक्त हो जाने से ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो जाता है। कई बार लोग इस वजह से डॉयबिटिक भी हो जाते हैं या किसी अन्य वजह से डॉयबिटिक हैं तो उनकी परेशानी और बढ़ जाती है। इसके अलावा तनाव की स्थिति में धूम्रपान और शराब का सेवन भी अधिक पाया गया है, जो तबीयत को और भी गंभीर स्थिति में पहुंचा देता है।
तनाव भरी जिंदगी युवाओं में रिस्क फैक्टर को तेजी से बढ़ा रही है। इन दिनों सामने आ रहा है कि गलत लाइफ स्टाइल की वजह से बीमार होकर अस्पताल पहुंच रहे मरीजों में करीब 30 फीसदी संख्या 25 से 40 साल तक के युवाओं की होती है। रिस्क फैक्टर को कम करके हृदय के रोगों को मात दिया जा सकता हैं। अगर लोग बॉडी मास इंडेक्स, ब्लड प्रेशर, शूगर और लिपिड प्रोफाइल सहित अन्य रिस्क फैक्टर को नियंत्रित रखें तो समस्या काफी कम हो जाती है। हदय संबंधी रोगों से बचने के लिए तलाभुना खाना कम खाएं, नियमित टहलें, उचित दिनचर्चा रखेंं, खाने में मौसमी फल बढ़ाएं, धूम्रपान और तंबाकू का सेवन ना करें, अत्यधिक और अनावश्यक तनाव ना लें।
हालांकि, युवाओं में हृदय के रोगों के पीछे दूसरे कारण भी हो सकते हैं। इसमें हृदय का वाॅल्व खराब होना और जन्म से दिल की बीमारी सहित दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं। अगर किसी की धड़कन तेज चले, हृदय की धड़कन में असामान्य ध्वनि आए, चलने में सांस फूले, पैरों या पेट में सूजन हो जाए, सांस लेने में तकलीफ हो, सीने में दर्द हो, चक्कर आए, थकान हो या अन्य लक्षण दिखें तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
For more information related to this article anyone may contact with our respective health experts –
- Dr. Satendra Kumar (MD Medicine, ACCD-EASD Europe) : General Physician and Non Invasive Cardiac Expert and Respective, Medical Officer at MEDJOIN EDUCATION TRUST. Mobile Number- +91- 8448011769.
- Mr. Vivek Sengar : Clinical Nutrinist, Heart and Diabetes Expert, Founder & CEO of FIT MY HEART. Mobile Number- +91- 97170 41141.
Disclaimer: इस लेख में बताई गई की सलाह के साथ ही अपने नजदीकी, अनुभवी और भरोसमंद डॉक्टर से सलाह जरूर लें। UTTAR PRADESH HIGHLIGHTS किसी भी अनहोनी के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। साथ ही DOCTER SATENDRA KUMAR भी किसी अनहोनी के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।
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