रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पूजित अक्षत से दिया जा रहा निमंत्रण (Photos and Graphics by Uttar Pradesh Highlights)रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पूजित अक्षत से दिया जा रहा निमंत्रण (Photos and Graphics by Uttar Pradesh Highlights)

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HIGHLIGHTS NEWS NETWORK: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर में होने जा रहे प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पूरे देश में जबरदस्त उत्साह है। पूरे देश के साथ ही उत्तर प्रदेश के हर शहर और सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर राम नाम की गूंज सुनाई दे रही है। राम मंदिर और उसमें होने जा रहे प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम से जुड़ा हर संदेश तेजी से वायरल हो रहा है। साथ ही इससे जुड़ी अहम बातें खूब साझा की जा रही हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट लगातार मंदिर निर्माण के काम को आगे बढ़ा रहा है। साथ ही इससे जुड़ी नई तस्वीरें और जानकारियां भी लगातार सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचाई जा रही है।  

वहीं, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए घर-घर पूजित अक्षत से निमंत्रण दिया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और अन्य कई हिंदू सगठनों से जुड़े कार्यकर्ता पूरे उत्साह से पूजित अक्षत से रामभक्तों को निमंत्रण दे रहे हैं। नए साल 2024 के पहले दिन से ही सभी कार्यकर्ता अक्षत वितरण अभियान में लगे हैं।

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जिन संतों को शामिल होना है, उनको विशेष आमंत्रण कार्ड दिया जा रहा है। अयोध्या जाने वाले जिन संतों को निमंत्रण मिला है, उनको निबंधन कराना होगा। निबंधन कराने वाले संत को अपने पास आधार कार्ड और रजिस्‍टर्ड मोबाइल नंबर भी रखना होगा।

इसके साथ ही 22 जनवरी 2024 के दिन उत्तर प्रदेश के हर मंदिर में विशेष पूजा की तैयारी की जा रही है। इसके लिए बाकायदा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोगों से 22 जनवरी 2024 को बड़ी संख्या में अयोध्या नहीं आने की अपील का असर दिखाई दे रहा है। लोग अपने घरों में भी श्रीराम ज्योति प्रज्वलित करने की तैयारी कर रहे हैं।

बता दें कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का शुभ मुहूर्त निकाला गया है। ये समय 22 जनवरी 2024 को 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा। रामलला की मूर्ति को कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। ये मूर्ति 5 साल के बाल स्वरूप में है। पुरानी मूर्ति जो फिलहाल छोटे मंदिर में स्थापित है, उसकी भी नई मूर्ति के साथ गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। 

वहीं, रामलला की मूर्ति का सूर्य तिलक रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे होगा। इस दौरान सूर्य का प्रकाश जब रामलला के माथे पर पड़ेगा, उसे ही सूर्य तिलक कहा जाएगा। राम मंदिर में आरती का समय सुबह 6:30 बजे, दोपहर 12:00 बजे और शाम 7:30 बजे रहेगा।

अयोध्या में बन रहे राम जन्मभूमि मंदिर की खास बातें

राम जन्मभूमि मंदिर परंरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट रहेगी। मंदिर 3 मंजिला रहेगा। हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे। मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), और प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा। राम मंदिर में 5 मंडप (नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप) होंगे। खंभों और दीवारों में देवी-देवताओं और देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। राम मंदिर परिसर के चारों कोनों पर चार मंदिर होंगे, जिनमें सूर्य देव, देवी भगवती, गणेश भगवान और भगवान शिव को समर्पित होंगे। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा का मंदिर और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर है। मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा। दिव्यांगजनों और बुजुर्गों के लिए मंदिर में रैंप और लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी। मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट होगी। परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। मंदिर के नजदीक पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे। दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है। वहां जटायु प्रतिमा की भी स्थापना की गई है। 14. मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है। मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था और स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, जिससे बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे। 18. 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर और चिकित्सा की सुविधा रहेगी। मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन और ओपन टैप्स की सुविधा भी रहेगी। मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परंपरानुसार और स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण और जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यहां कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70 फीसदी क्षेत्र हमरेशा हरित रहेगा।

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By Sandeep Kumar Srivastava

Mr. Sandeep Kumar Srivastava is a media professional and educator. He has more than 15 years of journalistic experience. He was attached with the newsroom of many reputed media houses in BHARAT. He worked as a News Anchor, News Producer and Correspondent. He is very well known for his news and program presentation skills in Television and Digital Media. He is Founder and Editor-In-Chief of UTTAR PRADESH HIGHLIGHTS. E-Mail: tvjournalistsandeepsrivastav@gmail.com

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