AGRA-MATHURA ZONE BUREAU: जगद्गुरु रामभद्राचार्य की शुक्रवार को तबीयत बिगड़ गई। उनको सीने में दर्द होने की शिकायत पर पहले आगरा के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया और फिर एयर ऐंबुलेंस से देहरादून ले जाया गया है। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामभद्राचार्य के उत्तराधिकारी को फोन करके उनका हालचाल जाना। वहीं, जगद्गुरु की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिलने पर बड़ी संख्या में उनके अनुयायी अस्पताल पहुंच गए।
आगरा के दिल्ली गेट स्थित पुष्पांजलि अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश शर्मा ने बताया कि सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें यहां लाया गया, उनकी जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि डॉ. नवनीत शर्मा उनका इलाज कर रहे हैं। कुछ जांच हो चुकी हैं, जबकि कुछ जांचों की रिपोर्ट आनी बाकी है। उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच में छाती में संक्रमण की बात सामने आई है।
आगरा के दिल्ली गेट स्थित पुष्पांजलि अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश शर्मा ने बताया कि सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें यहां लाया गया, उनकी जांच की गई। उन्होंने बताया कि डॉ. नवनीत शर्मा उनका इलाज कर रहे हैं। कुछ जांच हो चुकी हैं, जबकि कुछ जांचों की रिपोर्ट आनी बाकी है। उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच में छाती में संक्रमण की बात सामने आई है।
सूत्रों के मुताबिक रामभद्राचार्य महाराज की 4 साल पहले हृदय बाईपास सर्जरी हो चुकी थी। ऐसे में डॉक्टर हर तरह की जांच कर रहे हैं। पुष्पांजलि अस्पताल के संचालक डॉ. वीडी अग्रवाल ने बताया कि रामभद्राचार्य महाराज को एयर एंबुलेंस से देहरादून ले जाया गया है। हालांकि अभी खतरे की कोई बात नहीं है, लेकिन उनके शिष्य उन्हें देहरादून ले गए हैं। अग्रवाल ने बताया कि देहरादून में उनके किसी अनुयायी का अस्पताल है।
बता दें कि वो हाथरस जिले के लाडपुर गांव में जगद्गुरु रामभद्राचार्य 25 जनवरी से रामकथा कर रहे थे। शुक्रवार को रामकथा का आखिरी दिन था। शुक्रवार को रामभद्राचार्य को सीने में दर्द की शिकायत हुई। उन्हें तुरंत उपचार के लिए आगरा के पुष्पांजलि अस्पताल में भर्ती कराया गया। बताया जा रहा है कि उनके फेफड़ों में इंफेक्शन के कारण भर्ती कराया गया है।
प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु हैं रामभद्राचार्य
जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में रहते हैं। उनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था। रामभद्राचार्य एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु हैं। वे रामानंद संप्रदाय के वर्तमान 4 जगद्गुरु रामानंदाचार्यों में से एक हैं। इस पद पर वो साल 1988 से प्रतिष्ठित हैं। रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं और आजीवन कुलाधिपति हैं। जगद्गुरु रामभद्राचार्य जब सिर्फ 2 माह के थे, तभी उनके आंखों की रोशनी चली गई थी। वो बहुभाषाविद् हैं। वो 22 भाषाओं (संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं) के कवि और रचनाकार हैं। उन्होंने 80 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें 4 महाकाव्य (2 संस्कृत और 2 हिन्दी में) हैं। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है। वो न तो पढ़ सकते हैं, ना लिख सकते हैं और न ही ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं। वो केवल सुनकर सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं। साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया था।
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