HIGHLIGHTS NEWS DESK: इस लेख में प्रदीष झा ने दीपावली पर वायु और ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए पटाखों के कई अन्य विकल्पों के बारे में बताया है। बता दें कि प्रदीष झा उत्तर प्रदेश हाईलाइट्स में स्टेट न्यूज़ कॉन्ट्रीब्यूटर हैं।
अब से कुछ दिनों बाद हम सभी दीपावली का महापर्व मनाएंगे। इसको लकेर हम सभी बेहद उत्साहित हैं और अपने-अपने स्तर पर विशेष तैयारियां भी कर रहे हैं। लेकिन, इस त्योहार के दौरान जो सबसे बड़ा मसला हम सभी के सामने आता है, वो वायु और ध्वनि प्रदूषण का है। इससे हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए को नुकसान (सुनने की क्षमता कम होना, नींद में गड़बड़ी, हृदय संबंधी समस्याएं और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं) पहुंचाने के साथ ही कई लोगों के जीवन के लिए बड़ा खतरा भी उत्पन्न होता है। पारंपरिक पटाखे पार्टिकुलेट मैटर, कार्बन मोनोऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों जैसे जहरीले रसायन छोड़ते हैं। ये जहरीले रसायन सांस संबंधी समस्याओं को बढ़ाते हैं और जलवायु परिवर्तन में योगदान करते हैं। पटाखों से होने वाला ध्वनि प्रदूषण इंसानों के साथ ही जानवरों कौ भी नकारात्मक तौर पर काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े के मुताबिक 10 फीसदी भारतीय ध्वनि प्रदूषण के कारण सुनने की क्षमता खो देते हैं। वहीं, नेशनल जियोग्राफ़िक के आंकड़े के मुताबिक 60 फीसदी वन्यजीवों के आवास ध्वनि प्रदूषण से बाधित होते हैं।
ऐसे में हम सभी को पर्यावरण और सभी के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए पटाखों का इस्तेमान कम से कम करना चाहिए। साथ ही ऐसे पटाखों के विकल्पों को चुनना चाहिए, जिनसे वायु और ध्वनि प्रदूषण कम होता है। कम प्रदूषण वाले पटाखे के तौर ग्रीन क्रैकर्स और बायो-डिग्रेडेबल पटाखे बजार में उपलब्ध रहते हैं। ग्रीन क्रैकर्स से वायु और ध्वनि प्रदूषण के स्तर में ज्यादा बढ़ोतरी नही पाती है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के आंकड़ों के मुताबिक ग्रीन पटाखों से वायु प्रदूषण में 30 फीसदी की कमी संभव है। वहीं, बायो-डिग्रेडेबल पटाखे प्राकृतिक सामग्रियों से बने होते हैं। ये आसानी से विघटित हो जाते हैं और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करते हैं। इसके अलावा बैटरी से चलने वाले पटाखे इलेक्ट्रिक पटाखे भी प्रदूषण से बचने लिए काफी अच्छा विकल्प हो सकता है। इलेक्ट्रिक पटाखे प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों का उत्सर्जन किए बिना पारंपरिक पटाखों की ध्वनि और प्रकाश ठीक उसी तरह प्रदर्शित करते हैं, जैसे पारंपरिक पटाखों के जरिए होता है। इन विकल्पों के साथ हम स्वस्थ्य वातावरण बनाकर बेहतर तरीके से दीपावली मनाते हुए अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभा सकते हैं।
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