BUNDELKHAND DIVISION BUREAU: बांदा में बरियारी बालू खदान गुंडा राज का पर्याय बनती नजर आ रही है। यहां बालू माफियाओं पर लगातार दबंगई से अवैध खनन का आरोप लग रहा है। पत्रकारों से लूट होने के मामले में भी पुलिस प्रशासन अभी तक शांत है। मजदूरों के साथ अन्याय होने के भी आरोप लगे, जिस पर प्रशासन शांत रहा। एक युवक की खदान में मौत होने पर केवल ट्रक ड्राइवर पर कार्रवाई हुई। एक और ग्रामीण की जमीन में जबरन रास्ता बनाने के मामले में प्रशासन की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई और अब तो बगल का पट्टाधारक भी अवैध खनन का आरोप लगा रहा है, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। प्रशासन को ना ही यहां पोकलैंड मशीनें नजर आ रहीं है और ना ही नदी में खनन कर बनाए गए मौत के गड्ढे नजर आ रहे हैं।
बता दें कि बांदा की बरियारी बालू खदान संजू गुप्ता की है। उसने खदान की कमान शैलेंद्र यादव नाम के शख्स को सौंप रखा है। आरोप है कि उसने खदान मालिक संजू गुप्ता के इशारे पर खबर के लिए वहां पहुंचे पत्रकारों के साथ लूट की, लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। जांच की बात कहकर आज भी मामला लटकाए हुए हैं। फिर ग्रामीणों और मजदूरों को धमकाने का भी आरोप लगा। साथ ही मजदूरों की मजदूरी नहीं देने का भी आरोप लगाय़ जब मजदूरों ने जिला प्रशासन से शिकायत की तो इसने मजदूरों से समझौता तो करा दिया गया। इसके बाद खदान में काम कर रहे मजदूर को खाना देने आए किशोर बेटे को ट्रक के नीचे दबवाकर मारने और हादसे का नाम देने का भी आरोप लगा।
ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर बवाल किया, लेकिन ट्रक ड्राइवर पर कार्रवाई कर मामला रफा दफा कर दिया गया। हाल ही में एक और ग्रामीण जिलाधिकारी से न्याय मांगने आया है। उसके मुताबिक खदान के गुंडे जबरन उसकी जमीन में रास्ता बनाए हुए हैं और भारी भरकम ट्रक निकाल रहे हैं। रोकने पर धमकी देते हैं, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई की बात सामने नहीं आई।
वहीं. एक बार फिर खदान संचालकों पर अवैध खनन और गुंडई का आरोप लगा है, लेकिन प्रशासन ने एक बार फिर क्लीन चिट दे दी। वहीं, खनन करने वाली मशीनें नदी किनारे खड़ी देख कर भी मौके पर पहुंचे अधिकारी बिना कार्रवाई के लौट आए।
बता दें कि जिलाधिकारी कार्यालय शिकायत लेकर आए अरुण कुमार ने बताया कि बरियारी खदान के बगल से कोलावल रायपुर बालू खदान का पट्टा है। जहां बरियारी बालू खदान के गुंडे घुस कर उनके खंड में पोकलैंड मशीनों से अवैध खनन कर रहे हैं। इतना ही नहीं वो लोग नदी की जलधारा से करीब 15 फुट गहराई तक खनन कर जानलेवा गड्ढे बना रहे हैं। बार-बार मना करने पर नहीं मान रहे है और लड़ने पर उतारू हैं। ये लोग लगातार अवैध खनन कर रहे हैं। इसके बाद जिलाधिकारी ने संज्ञान लेते हुए खनिज इंस्पेक्टर गौरव को भेजा, जहां उन्होंने सीमांकन कर क्लीन चिट दे दी। उन्हें ना ही अवैध खनन दिखा और न ही नदी किनारे खड़ी अवैध पोकलैंड मशीनें दिखीं।
अब ये सवाल उठना तो लाजमी है कि क्या इन अधिकारियों ने ईमान धर्म कर्म सबकुछ बालू माफियाओं को अर्पित कर दिया है और बदले में ऐशो आराम का वरदान ले लिया है।
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