PRAYAGRAJ ZONE BUREAU: कौशांबी के सिराथू तहसील में कड़ा धाम है। इस धाम में शीतला माता का मंदिर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। ये 51 शक्तिपीठों में शामिल है। चैत्र और शारदीय नवरात्र में यहां दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। आज यानी चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यहां मां शीतला के दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है।
शक्तिपीठ मां शीतला देवी को पुत्र देने वाली देवी भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां माता सती का कर यानी हाथ गिरा था। इससे इस धाम का महत्व और भी बढ़ जाता है। कहा जाता है कि जो भक्त मंदिर के कुंड को जल, दूध, फल और मेवे से भरवाता है, उसे मनवांछित फल मिलता है।
मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि सैंकड़ों साल से शीतला धाम कड़ापीठ शक्ति उपासकों का केंद्र रहा है। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शिव की भार्या सती ने जब अपने पिता दक्ष के अपमान को सहन नहीं कर पाने की स्थिति में यज्ञ कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिया तो उनके वियोग से आक्रोशित भगवान शिव सती का शव लेकर सभी लोकों में भ्रमण करने लगे। उनके क्रोधित रूप को देखकर तीनों लोकों में हलचल मच गई। देव मनुष्य सभी प्राणी भयभीत हो गए थे। शिवशंकर के क्रोध की अग्नि की ज्वाला से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर के 51 टुकड़े किए। मान्यता के अनुसार सती के शव के ये टुकड़े जहां भी गिरे वहीं एक शक्तिपीठ स्थापित हुआ।
शीतला माता मंदिर के अध्यक्ष उदय नारायण पण्डे ने बताया कि भव्य रूप से तैयारी की गई है। 56 भोगों के साथ प्रसाद लगेगा। सिंगार और बड़ी आरती होगी। यहां हर दिन करीब 25-30 हज़ार श्रद्धालु दर्शन करते है और अष्टमी के दिन 1 लाख भक्त दर्शन कर लेते हैं। ये पूर्वांचल की कुल देवी हैं। इसलिए कई जिलों से श्रद्धालु यहां भगवती शीतला के दर्शन करने यहां आते हैं।
उदय नारायण पांडे, अध्यक्ष, शीतला माता मंदिर
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