KAUSHAMBI NEWS कौशांबी ज़िले के सिराथू तहसील के ग्रामीण इलाके की एक 30 वर्षीय महिला ने असंभव को संभव कर दिखाया है। गांव की यशोदा को अपनी अलग पहचान है। लोग उन्हे देहाती मैडम के नाम से जानते पहचानते है। यह नाम यशोदा के चहेते लोगो मे English पाठशाला के चलते के चलते दिया है।
आइए आपको ENGLISH की देहाती मैडम के संघर्ष को पूरी कहानी से रूबरू कराते है…
कौशांबी के सिराथू तहसील के एक छोटे से गांव धुमाई की रहने वाली यशोदा देवी एक सामान्य ग्रामीण महिला है। वह ग्रामीण परिवेश में साड़ी पहनना एवम खेती बाड़ी का काम कर अपना जीवन यापन करती है। यशोदा का बचपन बेहद संघर्ष भरा रहा, इस कारण वह महज इंटर तक पढ़ाई कर सकी। कम उम्र में शादी के बाद भी दुर्भाग्य ने पीछा नहीं छोड़ा। यशोदा के मुताबिक, जब वह छोटी थीं तो उनके माता-पिता ने उन्हें एक रिश्तेदार को सौंप दिया था। 12वीं तक की उनकी स्कूली शिक्षा भी काफी अनियमित रही। इसके बाद एक दिहाड़ी मजदूर से उनकी शादी करा दी गई। उनके पति बाद में एक हादसे का शिकार हो गए। इससे उनकी काम करने की क्षमता पर असर पड़ा। घर की आमदनी सीमित थी। बीमार पति को इलाज की जरूरत थी इसलिए बैंक कर्ज का बोझ सिर पर खड़ा हो गया। विपरीत हालात में भी यशोदा ने अपने हिम्मत और मेहनत के बल पर सफलता की कभी ना मिटने वाली अमिट छाप समाज मे छोड़ी है।
यूट्यूब ने बदली यशोदा की ज़िंदगी…..
धुमाई गांव के कच्चे मकान में रहने वाली यशोदा खुद का youtube चैनल चलती है। इस पर वह ENGLISH LEARNING मटेरियल अपनी खुद की वीडियो बना कर प्रसारित करती है। जो सोशल मीडिया मे खूब पसंद किया जा रहा है। ENHLISH WITH देहाती मैडम के नाम वाले इस चैनल के मौजूद समय मे 2.9 लाख से अधिक सब्सक्राइबर है। यशोदा अब तक इंगलिश की बोलना सीखने वाले 373 वीडियो अपने चैनल पर डाल चुकी है।
कब से हुई शुरुआत….
साल 2022, मई में यशोदा ने अपने चैनल की शुरुआत की थी। जिससे उन्हें यूट्यूब अब 25 हजार रुपए महीने की आमदनी कराता है। यशोदा के मुताबिक, शहर की तुलना में यह रकम भले ही लोगो को कम लगे लेकिन ग्रामीण इलाके में खास कर उनकी जरूरत के लिए बेहद संतोष देने वाली धनराशि है।
हाउ टू थिंक इन इंग्लिश’ में यशोदा बताती….
यशोदा को ब्रांडिंग की बहुत अच्छी समझ है। अपनी सामाजिक स्थिति को स्वीकार करते हुए उन्होंने इसे अपनी ब्रांडिंग का सबसे सशक्त जरिया बना लिया। देहाती मैडम को इंग्लिश स्पीकिंग की शैक्षणिक बुनियादी बातों की गहरी समझ है। अपने एक वीडियो ‘हाउ टू थिंक इन इंग्लिश’ में यशोदा बताती हैं कि कई लोगों के लिए समस्या ये है कि वे अंग्रेजी बोलने से पहले अंग्रेजी में सोचते नहीं हैं। अनुवाद के चक्कर में इंग्लिश की फ्लुएंसी खो जाती है। यशोदा के मुताबिक, पहले उन्होंने ‘अंग्रेजी में सोचने’ की कला में महारत हासिल की। वह अपने ‘छात्रों’ से कहती हैं, ‘आपको किताबें पढ़ने की आदत विकसित करनी चाहिए। यह अंग्रेजी में ‘फ्लुएंसी’ के लिए महत्वपूर्ण है। इस वीडियो के बाद मुझे 100% यकीन है कि पढ़ने के प्रति आपका रुझान काफी हद तक बढ़ जाएगा।
बैंक लोन भरने में मिली मदद……
खास बात यह है, कि अक्सर देहाती मैडम के क्लास के सबक अपने आसपास के जीवन का एक हिस्सा होते हैं। यूट्यूब से मिलने वाली आय से उनको बैंक ऋण का भुगतान करने में मदद मिली है। उनके पति राधे की दुर्घटना और उसके साथ आए वित्तीय झटके ने लोधी को यूट्यूब वेंचर के लिए प्रेरित किया था।
शुरुआत में यूट्यूब चैनल का सफर नही था आसान….
यशोदा ने बताया, शुरुआत में यूट्यूब चैनल का सफर भी उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने देसी खाना पकाने, कढ़ाई, सजावट को लेकर चैनलों शुरू किया था। इनमें से कोई चैनल नहीं चला। लेकिन वह हार मानने वालों में से नहीं थीं। उन्होंने कंटेंस क्रिएशन, वीडियो एडिटिंग और ऑनलाइन ट्रैक्शन हासिल करने के तरीकों के बारे में सीखने के लिए इंटरनेट पर घंटों बिताए। फिर उन्होंने धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने वाले कई मोटिवेशनल स्पीकर मिले। जिससे मुझे एक ऐसा मोटिवेशनल ‘देहाती’ स्पीकर बनने का विचार आया। जो अंग्रेजी में संवाद कर सके। इसलिए उन्होंने खुद अंग्रेजी सीखी और व्यूअर्स हासिल करने के लिए अपनी देहाती पहचान का इस्तेमाल किया। उनके अपने गांव धुमाई लोधन का पुरवा में कुछ ही लोग अंग्रेजी सीखने में रुचि रखते हैं। लोकल लेवल पर कुछ ही लोग उन्हें फॉलो करते हैं। उन्होंने बताया, ‘मेरे गांव में महिलाएं मुझे अंग्रेजी बोलते देखकर हंसती हैं। उन्हें न तो यह भाषा सीखने में कोई दिलचस्पी है और न ही अपनी बेटियों को इसे सीखने देने में। हालांकि, मेरी भाभियां अंग्रेजी सीखने में रुचि रखती हैं। इसी ललक के चलते वह गांव और गांव से बाहर सोशल मीडिया में अंग्रेजी की देहाती मैडम ने नाम से जानी जाने लगी है।
शिक्षा को हथियार बनाकर स्टार बानी किसान महिला