HIGHLIGHTS NEWS NETWORK, BANDA: बांदा में मरौली बालू खदान संचालक बेखौफ होकर नियम विरुद्ध खनन करने में जुटे हुए हैं। वो प्रतिबंधित मशीनों से अवैध खनन कर रहे हैं। उनकी कई बार नदी की जलधारा में भी खनन करने की तस्वीरें सामने आई हैं। अब वो इतने बेखौफ हो गए हैं कि अब जुर्म करने से भी नहीं कतरा रहे हैं। ऐसी ही तस्वीरें महुटा बालू खदान से सामने आई हैं। यहां खदान संचालक नदी की जलधारा में रास्ता बनाने के लिए नीम के पेड़ काट रहे हैं और उसकी लकड़ियां नदी में डालकर पत्थरों से मूंद रहे हैं। नदी किनारे नीम की पत्तियों की झाड़ साफ तौर पर देखी जा सकती हैं। साथ ही ये जानकारी ग्रामीणों ने भी दी है। आरोप ये भी लग रहे हैं कि ये सब की सह पर प्रशासन हो रहा है । वहीं, किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष की शिकायत पर भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। वन विभाग ने कार्रवाई करने की बात कही है।
बता दें मरौली खदान खंड संख्या 5 में लगातार नदी का चीर हरण किया जा रहा है, लेकिन अभी तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने कोई शुद्ध नहीं ली है। इसी के फलस्वरुप अतर्रा थाना अंतर्गत महुटा बालू खदान संचालक नदी की जलधारा प्रभावित कर अवैध पुल तो बना ही रहे हैं। साथ ही उसमेम नीम की लकड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। किसी भी परिस्थितियों में प्रशासन की बिना अनुमति के नीम के पेड़ को काटा नहीं जा सकता, लेकिन महुटा खदान संचालक नीम के पेड़ काट रहे हैं और नदी पर अवैध पुल बना रहे हैं।
इसके पहले इस खदान की अवैध खनन की तस्वीरें सामने आईं थी, जिसके बाद प्रशासन ने जो कार्रवाई वह ऊंट के मुंह में जीरा मात्र थी। तभी इस खदान संचालक की इतनी हिमाकत हुई कि औषधीय गुणों वाले बेस कीमती पौधे को काटा भी और नदी की जलधारा में रास्ता बनाने के लिए इसका प्रयोग भी किया। फिर इसके ऊपर पत्थर डालकर ढक दिया गया। नदी किनारे इसके प्रमाण भी दिखे, जहां नीम की पत्तियों के झाड़ पड़े मिले। वहीं इस बात की जानकारी स्थानीय ग्रामीणों ने फोनकर दी और वीडियो बनाकर भी भेजा।
किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल शर्मा ने बताया की महुटा खदान संचालक लगातार नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध खनन कर रहे हैं। नदी की जलधारा प्रतिबंधित करते हुए पुल बना रहे हैं। इतना ही नहीं, औषधि गुणों से युक्त नीम का पेड़ काटकर उसे नदी के रास्ते में इस्तेमाल कर रहे हैं, जो की जुर्म की श्रेणी में आता है। इसकी शिकायत उन्होंने कई बार की है, लेकिन अभी तक किसी ने सुध नहीं ली है। वहीं, वन विभाग ने जांच कर कार्रवाई करने की बात कही है। अब देखने वाली बात होगी कि क्या प्रशासन थोड़े से राजस्व के लिए खदान संचालकों के ये गुनाह भी माफ कर देगा और आंखों में पट्टी बांध लेगा।
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