LUCKNOW ZONE BUREAU: लखनऊ में एक रिटायर्ड बैंक अफसर को 24 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करने का मामला सामने आया है। इस मामले में साइबर अपराधियों ने मनी लॉन्ड्रिंग केस होने का झांसा देकर रिटायर्ड बैंक ऑफिसर ॉसे 13 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए। पीड़ित की तहरीर पर साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस फिलहाल पीड़ित के बैंक खातों का विवरण जुटा रही है।
इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव ने बताया कि गुरुवार (19 सितंबर 2024) को आलमबाग इलाके के रहने वाले सुब्रतो बनर्जी को व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आई। इसे उठाने पर वर्दी में एक शख्स नजर आया। उसने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताते हुए कहा कि आपके के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया है, इसलिए आपको डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है। उसने कहा कि जब तक कहा ना जाए तब तक ना तो कॉल कट करनी है और ना ही इस बारे में किसी को कुछ बताना है। खुद को पुलिस अधिकारी बताने वाले ठग ने अपना फेक आईडी कार्ड भी सुब्रतो को भेजा। साथ ही उनके नाम से फेक वारंट भेजा। ऐसे में सुब्रतो डर गए और जैसा ठग कहता गया वे वैसा करते गए।
इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव ने बताया कि ठग सरकारी डॉक्टरों के साथ-साथ अलग-अलग विभाग के सेवानिवृत्त अफसरों और कर्मचारियों को निशाना बना रहे हैं। 3 महीने के दौरान ऐसे लोगों से ठगी के 36 केस दर्ज किए गए हैं। अंदेशा है कि ठगों के पास इन सभी का डेटा है।
सतर्क रहें, अनजान नंबरों वाली कॉल को नजरअंदाज करें
92 कोड वाले नंबर की कॉल रिसीव ना करें। साथ ही व्हाट्सएप पर अनजान नंबर से आने वाली वीडियो और ऑडियो कॉल को नजरअंदाज करें। सीबीआई, एनआईए, पुलिस आदि का ऑफिसर बनकर अगर कोई कॉल करें तो बिल्कुल भी भरोसा ना करें।अगर कॉलर कहता है कि मनी लॉन्डि्रंग या ड्रग्स तस्करी में आपको डिजिटल अरेस्ट किया जाता है तो फौरन कॉल कट कर दें और पुलिस को सूचना दें। अगर कॉल करने वाला शख्स अगर कहता है कि आपका बेटा या बेटी अरेस्ट किया गया है। फौरन रुपये भेजे तो छोड़ दिया जाएगा तो तत्काल समझ जाएं कि ये कॉल साइबर अपराधी ने ठगी के लिए किया है।
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