HIGHLIGHTS NEWS NETWORK: इन दिनों उत्तर प्रदेश के करीब 24 जिले बाढ़ और बारिश के चलते गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। लखीमपुर खीरी, फर्रूखाबाद, गोंडा, पीलीभीत, सीतापुर, जालौन, बहराइच, बाराबंकी, मुरादाबाद, रामपुर, आगरा, औरैया, बस्ती, गौतमबुद्ध नगर, बांदा, प्रयागराज, सोनभद्र, चंदौली, भदोही, आजमगढ़, बलिया, देवरिया, गाजीपुर मऊ और इनके आस-पास के जिलों में बाढ़ और बारिश के चलते जनजीवन काफी ज्यादा प्रभावित हो चुका है।
पूर्वांचल के 9 जिलों में मंगलवार (17 सितंबर 2024) को उफनाई गंगा, गोमती, सरयू, कनहर और कर्मनाशा में बाढ़ और बारिश ने मुसीबतें बढ़ा दीं हैं। सोनभद्र, मऊ, गाजीपुर में 50 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया है। सोनभद्र में 10 से ज्यादा भवनों के ढहने से दंपती समेत 3 लोग घायल हुए हैं। सोनभद्र में 24 घंटे तक लगातार बारिश होने से सड़कों पर जलभराव हो गया। यहां 260 एमएम (औसत 64 एमएम) से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। जल का दबाव बढ़ने पर रिहंद और ओबरा बांधों के गेट खोलने पड़े। धंधरौल बांध के भी 22 गेट खोलकर पानी घाघर नदी और नहर में निकाला जाने लगा। नगवां बांध के 11 में से 9 फाटक खुलने से कर्मनाशा नदी में उफान आ गया है। गंभीर हालात के चलते सोनभद्र, मिर्जापुर और प्रयागराज में बुधवार को आठवीं तक के स्कूलों को बंद करना पड़ा। इस बीच प्रयागराज के लिए राहत की बात ये है कि यहां पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ रहा है गंगा और यमुना नदी का जलस्तर अब धीरे-धीरे घटने लगा है। गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ने के बाद सहायक नदियां चंबल, केन और बेतवा भी उफान पर थी। गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ने के बाद सहायक नदियां चंबल, केन और बेतवा भी उफान पर थी। इससे यहां भी खतरे के स्थिति लगातार बनी हुई थी।
वहीं, चंदौली में 12 घंटे में 47 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। यहां लगातार बारिश से 18 से ज्यादा कच्चे मकान ढह गए। नौगढ़-सोनभद्र मार्ग पर पेड़ गिरने से यातायात बाधित हो गया। बिजली के तार-खंभे टूटने से आपूर्ति बाधित हो गई है। अजमगढ़ में भी घाघरा की बाढ़ और बारिश ने जन-जीवन को प्रभावित कर दिया। यहां करीब 50 गांबों की 75000 से अधिक आबादी बाढ़ की चपेट में आ गई है। बाढ़ से गांवों के घिरने और संपर्क टूटने के बाद प्रशासन ने राहत-बचाव के लिए 133 नावें लगाई हैं। इसके अलावा लोगों ने अपनी सुविधा के लिए 250 नावों का अलग से संचालन शुरू किया है।
भदोही में बारिश के साथ चली तेज हवा से कई इलाकों में पेड़ गिर गए। इस दौरान चौरी, दुर्गागंज, ज्ञानपुर, सीतामढ़ी के जुडे़ उपकेंद्रों के करीब 90 से अधिक गांवों में 10-12 घंटे तक बिजली गुल रही। कोइरौना के इटहरा गांव की माली बस्ती में सूरत माली के मकान पर पाकड़ का पेड़ गिरने से बारजे में सो रही 70 साल की बुजुर्ग महिला मुरली देवी घायल हो गई। चौरी के नरपतपुर में बारिश से लाल बहादुर का कच्चा मकान गिर गया। इससे मलबे में गृहस्थी दब गई। बलिया में भी बाढ़ और बारिश ने खूब कहर बरपाया। गंगा खतरे के निशान के ऊपर बहने से लोग सुरक्षित स्थानों की ओर जाने लगे हैं। बाढ़ से जिले के 27 गांवों की 32 हजार आबादी और करीब 9500 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हो गया है।
बलिया में 27 गांवों की 32 हजार आबादी और करीब 9500 हेक्टेयर जमीन बाढ़ से प्रभावित है। यहां गंगा और सरयू के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। इसके अलावा छोटी नदियों का भी जलस्तर बढ़ने लगा है। इस बीच बैरिया थाना इलाके के कोडरहा नौबरार जयप्रकाश नगर पंचायत के टीपुरी गांव में जाने वाले पुल के दोनों साइड का एप्रोच गंगा नदी की बाढ़ में विलीन हो गया। पुल का एप्रोच टूटने से गांव में आने-जाने का रास्ता बंद हो गया है। ऐसे में ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। बाढ़ प्रभावित लोगों का कहना है कि दिन तो किसी तरह कट जा रहा है, लेकिन रात में जागकर हालात पर नज़र रखनी पड़ रही हैं। लोगों के मुताबिक गंगा की बाढ़ और पानी में घिरे गांवों में अभी तक प्रशासन की ओर से नावों की व्यवस्था नहीं हो पाई है। वहीं, अपर जिलाधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक गंगा, सरयू और टोंस नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। कई गांव पानी से घिरे हुए हैं। पीड़ितों तक राहत पहुंचाने का काम चल रहा है। बाढ़ प्रभावित गांवों में लेखपालों को रात में नज़र रखने के निर्देश दिए गए हैं।
लखीमपुर खीरी में भी बाढ़ लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई हैं। 5 तहसीलों करीब 250 गांव में रहने वाले 2 लाख से लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। घरों में पानी भरने से हजारों लोग छतों या सड़कों पर रहने को मजबूर हैं। इन लोगों को बाघ और अन्य वन्यजीवों का खतरा भी बना हुआ है। इस जिले के एक हिस्से में बाढ़ ने लोगों को बेघर कर दिया है। वहीं, दूसरे हिस्से में बाघ की दहशत ने लोगों को घरों में कैद कर रखा है। बाढ़ के पानी में डूबकर और बाघ के हमले से कई लोगों की जान जा चुकी हैं। लोग करीब 2 महीने से बाघ और बाढ़ की मुसीबत का सामना कर रहे हैं। पलिया, धौरहरा, निघासन और गोला तहसील में बाढ़ का कहर है। मोहम्मदी-महेशपुर रेंज में बाघ ने लोगों की नींद उड़ा रखी है। रविवार को भी एक किशोरी और बुजुर्ग की डूबने से मौत हो गई। मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ी हैं। मोहम्मदी-महेशपुर रेंज के इमलिया गांव के रहने अमरेश कुमार और मूड़ा अस्सी गांव के रहने वाले जाकिर की भी बाघ के हमले में जान चली गई थी। 15 दिन के अंदर 2 लोगों की जान लेने वाला बाघ अब तक वन विभाग की पकड़ से दूर है। साथ ही तेंदुए की चहलकदमी से भी दहशत का माहौल है।
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