HIGHLIGHTS NEWS NETWORK : देश के कई हिस्सों के साथ ही उत्तर प्रदेश के भी कई जिले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। अवध और रोहिलखंड के बड़े हिस्से में बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई है। अवध के बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, बाराबंकी और सीतापुर के साथ ही रोहिलखंड के बरेली, पीलीभीत और शाहजहांपुर सहित 15 से ज्यादा जिलों में कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। नदियों के रौद्र रूप का शिकार कई इलाके हो चुके हैं।

नेपाल की नदियों में आई बाढ़ का असर नेपाल से सटे जिलों पर पड़ रहा है।  उत्तर प्रदेश में सरयू, शारदा, घाघरा, राप्ती, रामगंगा, खन्नौत और गर्रा सहित कई नदियां उफान पर हैं। इससे कई इलाको में सड़कों पर 3-5 फीट तेज गति से पानी बह रहा है। वहीं, जिन इलाकों में जलस्तर कम हुआ है, वहां अब कटान की समस्या है। इससे लोग सहमे हुए हैं और पलायन को मजबूर हैं।

कई इलाकों में यात्रियों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ सहित कई टीमें राहत और बचाव के काम में लगी हुई हैं। कई जगहों पर प्रशासन फंसे हुए लोगों को निकाल जरूर रहा है, लेकिन उन तक राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही। हालांकि प्रशासन लोगों को निकालने और राहत सामग्री पहुंचाने के लिए हर संभव इंतजाम कर रहा है। राहत और बचाव के काम में नावों का भी सहारा लिया जा रहा है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों की बिजली काटे जाने से लोग उमस भरी भीषण गर्मी से भी परेशान हैं। बाढ़ के बीच संचारी रोगों के बढ़ने की आशंका को मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट मोड में आ गया है। स्वास्थ्य शिविर लगारकर लोगों को संचारी रोगों के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी लगातार बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं। वो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का हवाई दौरा करने के साथ ही पीड़ितों से मुलाकात कर राहत सामग्री वितरित कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।

शाहजहांपुर में विकराल हो गए हालात

शाहजहांपुर में खन्नौत के बाद गर्रा नदी का जलस्तर बढ़ने से हालात विकराल हो गए। यहां राजकीय मेडिकल कॉलेज में पानी घुस जाने से सेवाएं ठप हो गईं और मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट करना पड़ा। गर्रा नदी का पानी लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर आने से यातायात पर काफी असर पड़ा। बाढ़ का पानी बरेली मोड़ से बंथरा तक सड़क पर आने के बाद लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाईवे पर यातायात 2 दिनों तक ठप रहा। इस दौरान पुलिस ने लखनऊ से आने वाले वाहनों का रूट डायवर्ट कर दिया। वहीं, इलाकों में लोगों को अपना घर छोड़कर रिश्तेदारों के यहां शरण लेनी पड़ी है।

लखीमपुर खीरी में भी बाढ़ का कहर

लखीमपुर खीरी में भी बाढ़ का कहर जारी है। यहां शारदा-घाघरा नदियों में से करीब 150 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। धौरहरा तहसील के रैनी समदहा गांव के 250 लोग शारदा नदी के उस तलहटी में फंस गए थे। इसका पता चला तो प्रशासन ने लोगों को रेस्क्यू किया। प्रशासन यहां बाढ़ पीड़ितों की पूरी मदद कर रहा है। पीड़ित परिवारों को खाने के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं। वहीं, सम्पूर्णानगर थाना इलाके में पीलीभीत के हजारा से जोड़ने वाली सड़क पर निर्माणाधीन पुलिया बाढ़ के पानी में बह गई। इससे आवागमन मुश्किल हो गया है। लोक निर्माण विभाग ने इस पुलिया का निर्माण कुछ दिन पहले ही शुरू कराया था।

अयोध्या में टापू बन गए 13 गांव

अयोध्या में सरयू नदी में उफान जारी है। जलस्तर खतरे के निशान से 32 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है। पूरा बाजार के 12 और सोहावल तहसील का एक गांव टापू बन गया है। गांव के रास्तों पर पानी भर गया है। फसलें पानी में डूब गई हैं। आवागमन के लिए यहां नावें लगाई गई हैं। 24 घंटे तटबंधों की निगरानी की जा रही है। यहां सबसे बड़ा खतरा बिजली के खंभों से है। बता दें कि यहां 25 साल बाद सरयू का जलस्तर जुलाई में 93 मीटर के पार पहुंचा है। इससे पहले साल1999 के जुलाई माह में सरयू का जलस्तर 93़ 02 मीटर तक पहुंचा था।

अंबेडकरनगर और बहराइच में सरयू का कहर

अंबेडकरनगर में शुक्रवार (12 जुलाई 2024) को सरयू नदी की बाढ़ में कम्हरिया घाट स्थित धर्मशाला की सीढ़ियां जलमग्न हो गईं हैं। माझा-कम्हरिया में तेजी से हो रहे कटान में 15 बीघा खेत नदी में समा गया। वहीं, बहराइच में सरयू का जलस्तर घटा है, लेकिन एल्गिन ब्रिज पर नदी अब भी खतरे के निशान से 5 सेंटीमीटर ऊपर ही बह रही है। सरयू का जलस्तर कम होने से गांवों से पानी तो निकल गया, लेकिन धान की फसल नष्ट हो गई है। बहराइच की जिलाधिकारी मोनिका रानी बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन की टीमें लगातार सक्रिय हैं और लोगों की जरूरत के मुताबिक मदद की जा रही है।

श्रावस्ती और सीतापुर में कटान ने बढ़ाई परेशानी

श्रावस्ती में राप्ती फिर लाल निशान के पार पहुंच गई है। इससे कछारवासी दहशत में हैं। कटान भी तेज हुई है। नेपाल के कुसुम बैराज से 47,682 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जमुनहा बैराज पर नदी का जलस्तर 127.35 से बढ़ कर 127.90 मीटर पहुंच गया, जो कि खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर अधिक है। लोग जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं। वहीं, सीतापुर में सड़क पर भरे बाढ़ के पानी में डूबने से लहरपुर इलाके में एक बालक की मौत हो गई। सीतापुर के ही रतनगंज इलाके में नदी की कटान में 34 घर बह गए हैं। इसको लेकर कटान पीड़ितों ने शुक्रवार को प्रदर्शन किया और तंबौर-काशीपुर मार्ग जाम कर किया। मामला बढ़ता देख तहसीलदार और पुलिस मौके पर पहुंची। बाढ़ प्रभावितों ने आवास दिलाने सहित कई अन्य मदद की मांग रखी है।

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By Sandeep Kumar Srivastava

Mr. Sandeep Kumar Srivastava is a media professional and educator. He has more than 15 years of journalistic experience. He was attached with the newsroom of many reputed media houses in BHARAT. He worked as a News Anchor, News Producer and Correspondent. He is very well known for his news and program presentation skills in Television and Digital Media. He is Founder and Editor-In-Chief of UTTAR PRADESH HIGHLIGHTS. E-Mail: tvjournalistsandeepsrivastav@gmail.com

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