BUNDELKHAND DIVISION BUREAU : बुंदेलखंड के बांदा जिले में आसमानी आफत किसानों पर कहर बनकर बरसी है। यहां किसान भुखमरी की कगार पर आ कर खड़े हो गए हैं। सूखे बुंदेलखंड में पूरे साल किसान एक ही फसल कर पाता है और उसी में गुजारा करता है। खून पसीने और कर्ज लेकर खड़ी फसल पर सफेद पत्थरों की बारिश कर दी, जिससे फसलें जमीदोज हो गईं। इसे देखकर किसान वहीं गश्त खा कर गिर पड़े और छाती पीटने लगे। आलम ये था कि वहां मौजूद लोगों की आंखे भी नम हों गईं और दर्द से गला भर आया।
वहीं, एक किसान की बेटी की हाली ही में शादी होनी है और वे इसी फसल के सहारे था, लेकिन वे भी नष्ट हो गई।किसान ने कर्ज लेकर फसल खड़ी की थी। नष्ट फसल देख किसान दहाड़े मारकर रोने लगा और शासन-प्रशासन से दया की भीख मांगते नजर आया।
ये तस्वीरें कमासिन क्षेत्र की है, जहां देर शाम बारिश हुई और ओलावृष्टि ने कई गावों और पुरवों के किसानों की फसलों को जमीदोज कर दिया। अगले दिन जब किसान अपनी फसलों के देखने पहुंचे तो वो गश्त खा कर वहीं गिर पड़े और छाती पीटने लगे।
वहां मौजूद ग्रामीणों ने दौड़कर किसान को गोद में उठा लिया और दहाड़े मारकर रो रहे किसान को ढांढस बंधाया, लेकिन किसान खड़ा न हो सका। इसके बाद लोग उसे उठाकर ले गए। रोते बिलखते एक किसान ने बताया कि उसने कर्ज लेकर फसल तैयार की थी और कुछ ही दिनों में उसकी बेटी के शादी होनी है और इसी फसल का सहारा था, जो बर्बाद हो गई। अब क्या खाएगा और कैसे बेटी का कन्यादान करेगा।
वहीं दूसरे किसान ने जैसे ही अपनी बर्बादी की दस्ता सुनानी शुरू की उसका गला भर आया और दर्द से कराहती जुबा से बोला की उसने उधार लेकर इस फसल को तैयार किया था जो नष्ट हो अब उसका परिवार क्या खाएगा और कर्ज कैसे चुकाएगा अब तो बस सरकार से ही आश बची है।बर्बादी का यह आलम किसी एक या दो किसान का नहीं है बल्कि अनगिनत किसानों का है। बीते कुछ दिनों पहले आसमान से ऐसी ही तबाही बरसी थी जिसमें नरैनी क्षेत्र के किसानों को बर्बाद कर दिया था और अभी यह तबाही रुकी नहीं है मौसम विभाग ने अभी और बारिश और ओलावृष्टि की भविष्य वाणी की है। अब देखने वाली बात होगी की सरकार इस समस्या का क्या समाधान निकलती है।
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