HIGHLIGHTS EDITORIAL DESK: इस सप्ताह उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव संप्नन हुआ। 9 सीटों पर 3435974 मतदाताओं ने 11 महिलाओं सहित 90 उम्मदीवारों के भाग्य का फैसला किया। इस उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की 7, राष्ट्रीय लोकदल की 1 और समाजवादी पार्टी की 2 सीटों पर जीत हुई। मैनपुरी में करहल, कानपुर में सीसामऊ, अंबेडकरनगर में कटेहर, मुरादाबाद कुंदरकी, अलीगढ़ में खैर, गाजियाबाद, प्रयागराज में फूलपुर, मिर्जापुर में मझवा और (मुजफ्फरनगर में मीरापुर सीट के लिए बुधवार (20 नवंबर 2024) को सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान हुआ, जिसके बाद शनिवार (23 नवंबर 2024) को मतगणना के बाद उपचुनाव के नतीजे घोषित किए गए। इन उपचुनाव के परिणाम का राजनीतिक विश्लेषक अपनी-अपनी तरह से विश्लेषण कर रहे हैं। इसे लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर एकजुट हुए भाजपा नेताओं-कार्यकर्ताों की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। वहींं, सपा का जनाधार लोकसभा चुनाव के बाद कमजोर होना बताया जा रहा है। लेकिन, सबसे बड़ा मसला मतदान के दौरान रहने वाले माहौल का है। संवेदनशील बूथों पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। इसके बावजूद मतदान के दौरान काफी तनावपूर्ण माहौल रहा और कई जगहों पर विवाद की स्थिति बन गई थी, जो कि हमारे समाज के लिए बेहद चिंता का विषय है। मतदान के दौरान कई जगहों पर बड़ा आरोप ये भी लगा कि सत्तारूढ़ दल ने उपचुनाव को प्रभावित करने के लिए सरकारी तंत्र और शक्ति का दुरुपयोग किया। एक वर्ग विशेष को मतदान का अधिकार दिया गया, जबकि अन्य वर्ग के मतदाताओं को बूथ तक पहुंचने से रोका गया। इस पर चुनाव आयोग ने फौरन एक्शन भी लिया। 7 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा के मुताबिक सपा की ओर से कुछ जगहों पर शिकायत की गई कि पुलिसकर्मी रोक रहे थे और आईडी चेक कर रहे थे। इसके चलते कार्रवाई की गई है। कानपुर में 2 सब इंस्पेटर, मुजफ्फरनगर में 2 दारोगा और मुरादाबाद में 3 पुलिसकर्मियों (1 सब इंस्पेक्टर और 2 सिपाही) को निलंबित कर दिया गया है। गौरतलब है कि चुनाव में लगे अधिकारियों ने सभी केंद्रों पर सतर्कता बरतते हुए मतदान प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराया, लेकिन उन बातों को समझने और आगे होने वाले किसी किसी भी चुनाव के दौरान उन परिस्थितियों को नहीं बनने देने की जरूरत है, जिससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है और तनावपूर्ण स्थिति बन जती है।
उत्तर प्रदेश में ‘लिटमस टेस्ट’ में पास हुई भाजपा, विधानसभा उपचुनाव परिणाम के बाद मिल रहे ये राजनीतिक संकेत
उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम शनिवार (23 नवंबर 2024) को घोषित हो गए। इस उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की 7, राष्ट्रीय लोकदल की 1 और समाजवादी पार्टी की 2 सीटों पर जीत हुई है। प्रयागराज में फूलपुर सीट पर भाजपा उम्मीदवार दीपक पटेल, अंबेडकरनगर में कटेहरी सीट पर भाजपा उम्मीदवार धर्मराज निषाद, मुरादाबाद में कुंदरकी सीट पर भाजपा उम्मीदवार रामवीर सिंह, अलीगढ़ में खैर सीट पर भाजपा उम्मीदवारसुरेंद्र दिलेर, गाजियाबाद सीट पर भाजपा उम्मीदवार संजीव शर्मा, मिर्जापुर में मझवां सीट पर भाजपा उम्मीदवार की सुचिस्मिता मौर्य और मुजफ्फरनगर में मीरापुर सीट पर आएलडी उम्मीदवार मिथिलेश पाल, मैनपुरी में करहल सीट पर सपा उम्मीदवार तेज प्रताप सिंह यादव और कानपुर में सीसामऊ सीट पर सपा उम्मीदवार नसीम सोलंकी की जीत हुई है। उपुचुनाव में बहुजन समाज पार्टी का प्रदर्शन बेदम रहा। वो 4 सीटों पर 10 हजार वोट से नीचे सिमट गईं। वहीं, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने मीरापुर और कुंदरकी सीट पर अपनी ठीकठाक उपस्थिति दर्ज कराई। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला परिणाम कुंदरकी में रहा, जहां 65 फीसदी मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद सपा उम्मीदवार मोहम्मद रिजवान की जमानत जब्त हो गई। यहां भाजपा उम्मीदवार रामवीर सिंह 1.45 लाख मतों से जीते। रामवीर सिंह को 76.68 फीसदी वोट मिले। वहीं, कटेहरी में 33 साल बाद भाजपा उम्मीदवार की जीत हुई है। इससे पहले साल 1991 में इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार की जीत हुई थी।बता दें कि उपचुनाव के दौरान कुंदरकी में सबसे ज्यादा और गाजियाबाद में सबसे कम मतदान हुआ है। बुधवार (20 नवंबर 2023) को शाम 5 बजे तक करहल में 53.92 फीसदी, सीसामऊ में 49.03 फीसदी, कटेहरी में 56.69 फीसदी, कुंदरकी में 57.32 फीसदी, खैर में 46.35 फीसदी, गाजियाबाद में 33.30 फीसदी, फूलपुर में 43.43 फीसदी, मझवां में 50.41 फीसदी और मीरापुर में 57.02 फीसदी मतदान हुआ था। मतदान को लेकर कई जगहों पर लोग बेहद उत्साहित दिखे। कई मतदान केंद्रों पर शाम 5 बजे के बाद भी मतदाताओं की कतारें लगी रहीं। हालांकि, कुछ जगहों पर काफी तनावपूर्ण माहौल रहा और विवाद की स्थिति बन गई थी। अधिकारियों ने सभी केंद्रों पर सतर्कता बरतते हुए मतदान प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराया। संवेदनशील बूथों पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। गौरतलब है कि इस उपचुनाव को 2027 से पहले होने वाले ‘लिटमस टेस्ट’ के तौर पर समझा जा रहा था। इस साल हुए लोकसभा चुनाव के बाद से ही सभी दलों ने उपचुनाव को लेकर अपनी तैयारियां तेज कर दी थीं। उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए और विपक्षी इंडी गठबंधन के प्रमुख दल सपा ने इस चुनाव में जीत के लिए हर हर मुमकिन कोशिश की। दोनों की गठबंधन इस उपचुनाव के में 2027 के मद्देनज़र तमाम दावों के बीच कहीं ना कहीं खुद की ताकत भी परख रहे थे। ऐसे में इस उपचुनाव के परिणाम को समझे तो भाजपा ने हाल ही हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम में हुई कई चूक दोबारा नहीं की। भाजपा के सभी नेता संगठित नज़र आए, जिसका परिणाम बड़ी जीत के रूप में सामने आया है। भाजपा एक फिर अपना जनाधार मजबूत करते हुए नज़र आई है। साथ ही ये भी माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अब तक के काम पर मतदाताओं ने पक्की मुहर लगा दी है। हालांकि, 2 सीटों पर सपा की जीत और ्न्य राजनीतिक दलों के प्रदर्शन ने ये राजनीतिक संकेत भी दिया है कि कि 2027 के चुनाव में एक बार फिर सत्ता के लिए कड़ी टक्टर होगी। ये टक्कर भाजपा और सपा के बीच ही होगी, ये भी अभी से तय माना जाने लगा है।
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