LUCKNOW ZONE BUREAU: समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए 16 उम्मीवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के परिवार से 3 उम्मीदवारों का नाम नाम घोषित किया है। अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को समाजवादी पार्टी का गढ़ माने जाने वाले मैनपुरी से उम्मदीवार बनाया गया है। वो अभी यहीं से सांसद हैं।
इसके साथ ही संभल से शफिकुर्ररहमान बर्क, फिरोजबाद से अक्षय यादव, एटा से देवेश शाक्य, बंदायू से धर्मेंद्र यादव, खीरी से उत्कर्ष वर्मा, धौरहरा से आनंद भदौरिया, उन्नाव से अन्नु टंडन, लखनऊ से रविदास मेहरोत्रा , फर्रुखाबाद से डॉ नवल किशोर शाक्य, अकबरपुर से राजाराम पाल, बांदा से शिवशंकर सिंह पटेल, अयोध्या (फैजाबाद) से अवधेश प्रसाद, अंबेडकरनगर से लालजी वर्मा, बस्ती राम प्रसाद चौधरी और गोरखपुर से काजल निषाद को समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार घोषित किया है।
समाजवादी पार्ची के इन 16 उम्मीदवारों में 11 OBC और 3 सामान्य जाति से हैं। इनमें 1 क्षत्रिय, 2 मौर्य, 2 खत्री, 4 कुर्मी और 1 मुस्लिम उम्मीदवार हैं। कमोबेश सभी सीटों पर स्थानीय समीकरणों को देखते हुए उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए गए हैँ। पहली सूची में उन सीटों को शामिल किया गया है, जहां समाजवाटी पार्टी ने अपने आकलन में ये समझा है कि उसके पास मजबूत उम्मदीवार हैं।
समाजवादी पार्टी ने ऐसे वक्त में अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं, जब I.N.D.I. गठबंधन में सीट के बंटवारे को लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। विपक्ष के I.N.D.I. गठबंधन में समाजवादी पार्टी ऐसा दूसरा दल है, जिसने अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं। इससे पहले आम आदमी पार्टी ने गुजरात में अपना 1 उम्मीदवार घोषित किया था। अखिलेश यादव ने अपने उम्मीदवार की घोषणा करके अपने सहयोगी दलों को साफ संदेश दे दिया है कि अब सीट और टिकट बंटवारे पर देरी नहीं करनी चाहिए।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (SP) और राष्ट्रीय लोकदल ने अभी हाल में गठबंधन का ऐलान किया था। जयंत चौधरी की पार्टी RLD 7 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 11 सीटें देने की बात कही थी, हालांकि कांग्रेस इससे संतुष्ट नहीं है। साथ ही 1सीट भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर की पार्टी को मिल सकती है। इस पर चंद्रशेखर खुद चुनाव लड़ सकते हैं।
अपने गढ़ मैनपुरी में जीत का रिकॉर्ड फिर दोहराने की तैयारी
मैनपुरी को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। समाजवादी पार्टी इस सीट से लगातार जीत दर्ज करती आई है। मुलायम सिंह यादव पहले इसी सीट से लोकसभा में पहुंचते रहे हैं। दिसंबर 2022 में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनकी बहू डिंपल यादव को मैनपुरी के उपचुनाव में उतारा गया। 64 फीसदी वोट लेकर वो जीती थीं। इस सीट की शुमार सपा के सबसे अहम गढ़ के रूप में होती है। एक फिर डिंपल यादव इस सीट से उम्मीदवार हैं।
संभल में शफीकुर्रहमान और फिरोजबाद मे अक्षय उम्मीदवार
संभल से समाजवादी पार्टी ने 94 साल के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क पर फिर दांव लगाया है। संभल में यादव और मुस्लिम समीकरण जिताऊ माना जाता है। मजबूत जनाधार वाले नेता मानो जाने वाले शफीकुर्रहमान बर्क पहली बार 1996 में समाजवार्टी पार्टी के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे थे। वहीं, फिरोजाबाद लोक सभा सीट यादव-मुस्लिम समीकरण यहां से जीत का मुख्य आधार माना जाता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद से अक्षय यादव की जीत हुई थी, लेकिन 2019 के चुनाव में इस सीट से शिवपाल यादव चुनाव लड़े और हार गए। ऐसे में इस बार फिरोजबाद मे अक्षय यादव को उम्मीदवार बनाया गया है।।
लखनऊ में रविदास और अयोध्या में अवधेश को टिकट
लखनऊ लोकसभा सीट से रविदास मेहरोत्रा को टिकट मिला है। इस सीट से अभी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारतीय जनता पार्टी से सांसद हैं। वहीं, लखनऊ मध्य क्षेत्र से विधायक रविदास मेहरोत्रा यहां लंबे वक्त से सक्रिय हैं। हर वर्ग में उनकी पैठ मानी जाती है। वहीं, लखनऊ लोकसभा सी सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है। इसलिए लखनऊ की समझ रखने वाले अनुभवी नेता को यहां से उतारना ठीक समझा गया। वहीं, अयोध्या (फैजाबाद) में दलित और अनुभवी उम्मीदवार के तौर पर अवधेश प्रसाद को उतारकर समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के लिए एक वोट बैंक पर सीधा असर डालने की कोशिश की है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने यहां एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखकर दलितों को साधा तो सामान्य सीट पर दलित उम्मीदवार उतारकर सपा ने भी जता दिया कि मुकाबला आसान नहीं होगा।
गोरखपुर में काजल निषाद और उन्नाव में अनु टंडन को टिकट
अभिनेत्री काजल निषाद ने 2012 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र से लड़ा था, लेकिन हार गई थीं। 2021 में वो समाजवादी पार्टी में शामिल हुई थीं। वो तभी से क्षेत्र में सक्रिय हैं। साल 2018 में गोरखपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार प्रवीण निषाद ने यहां जीत दर्ज की थी। उसी समीकरण को तरजीह देते हुए यहां से काजल निषाद को मौका दिया गया है। 3 साल पहले कांग्रेस से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने वाली अनु टंडन उन्नाव से फिर भाग्य आजमाएंगी। अन्नु टंडन 2009 में उन्नाव से सांसद रही हैं। 2019 के चुनाव में वो तीसरे स्थान पर रही थीं। अन्नु टंडन के साथ सामान्य वर्ग का वोट जुड़ने की रणनीति के तहत उन्हें उतारा गया है।
अंबेडकरनगर में लालजी और बांदा में शिव शंकर सिंह को टिकट
अंबेडकरनगर में सपा ने बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे लालजी वर्मा को उतारकर चौंका दिया है। दरअसल, बसपा सांसद रितेश पांडेय के पिता और पूर्व सांसद राकेश पांडेय विधानसभा चुनाव से पहले सपा में आ गए थे। रितेश पांडेय की अखिलेश यादव से मुलाकात काफी चर्चा में रही। इससे माना जा रहा था कि इस परिवार को अंबेडकरनगर से टिकट मिल सकता है, लेकिन दलित, ओबीसी और मुस्लिम समीकरण के चलते सपा के रणनीतिकार लालजी वर्मा को मजबूत उम्मीदवार मान रहे हैं। वहीं, बांदा लोकसभा सीट पर शिव शंकर सिंह पटेल को चुनाव मैदान में उतारा गया है। दरअसल, यहां हमेशा ही ब्राह्मण और पटेल जाति के मतदाताओं का दबदबा रहा है। इसलिए चुनाव में पार्टियां इन्हीं 2 जातियों पर दांव लगाती रही हैं। शिव शंकर सिंह पटेल का टिकट भी इसी रणनीति का हिस्सा है।
बस्ती : कुर्मी मतों पर चौधरी की मानी जाती है मजबूत पकड़
बस्ती से सपा प्रत्याशी रामप्रसाद चौधरी 5 बार कप्तानगंज से विधायक रह चुके हैं। वे मायावती सरकार में खाद्य रसद एवं पंचायतीराज मंत्री रह चुके हैं। उनके बेटे अतुल चौधरी कप्तानगंज से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। कुर्मी मतों पर उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। आंकड़े बताते हैं कि वे जीत के तरीके भी जानते हैं।
बदायूं में धर्मेंद्र, खीरी में उत्कर्ष और धौरहरा में आनंद को टिकट
बदायूं में धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार घोषित किया गया है। यहां सपा के फायर ब्रांड नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्या भाजपा के टिकट पिछला चुनाव जीती थीं। साल 2014 में यहां से धर्मेंद्र यादव जीते थे, लेकिन 2019 में वो हार गए। धर्मेंद्र यादव को मुस्लिम-यादव समीकरण के चलते बदायूं से एक बार फिर उतारा गया है। वहीं, खीरी में सामान्य और ओबीसी मतदाताओं को साधने की कोशिश करते हुए उत्कर्ष वर्मा को टिकट दिय गया है। वो खीरी शहर से विधायक भी रह चुके हैं। सपा ने लखीमपुर खीरी जिले की खीरी सीट पर उत्कर्ष वर्मा और धौरहरा से आनंद भदौरिया को उतारकर सामान्य के साथ ही ओबीसी मतदाताओं को साधने की कोशिश की है।
बस्ती में राम प्रसाद, कबरपुर में राजाराम और फर्रुखाबाद में डॉ. नवल को टिकट
बस्ती में सपा उम्मीदर बनाए गए राम प्रसाद चौधरी 5 बार कप्तानगंज से विधायक रह चुके हैं। वो मायावती सरकार में खाद्य रसद एवं पंचायतीराज मंत्री रह चुके हैं। उनके बेटे अतुल चौधरी कप्तानगंज से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। कुर्मी मतों पर उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। अकबरपुर में राजाराम पाल को टिकट देकर OBC के साथ दलितों को साधने की कोशिश की गई है। राजाराम पाल साल 2004 में अकबरपुर से बसपा और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए थे। वहीं, फर्रुखाबाद में डॉ. नवल किशोर शाक्य को उम्मीदवार बनाया गया है। कैंसर सर्जन होने के कारण सभी वर्गों में उनके समर्थक हैं।
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