AGRA MATHURA ZONE BUREAU: कान्हा की नगरी में होली का होली के रंग में सराबोर हैर। हर गली में उल्लास छाया हुआ है। मथुरा, वृंदावन, बरसाना और दाऊजी में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। बरसाने की लट्ठमार और लड्डूमार होली के बीच अब यहां हर ओर गुलाल बरस रहा है। बांके बिहारी मंदिर पर भक्तों का सैलाब उमड़ा रहा है।

वृंदावन में धार्मिक आयोजन को देखते हुए शहर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए। सड़क से लेकर मंदिर तक पुलिस का कड़ा पहरा रहा। डीआईजी शैलेश कुमार पांडेय और जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश सिंह स्वयं व्यवस्थाओं की निगरानी करते रहे, जिससे श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।
राधावल्लभ लाल अपने भक्तों पर गुलाल उड़ाते हुए चल रहे थे और श्रद्धालु इस अलौकिक क्षण का आनंद लेते हुए रंगों में सराबोर हो गए। शोभायात्रा मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर ठाकुरजी का स्वागत किया। सेवायत मोहित मराल गोस्वामी ने बताया कि इस अद्भुत दर्शन और शोभायात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं।
रंगभरनी एकादशी पर सोमवार को ठाकुर राधावल्लभ मंदिर से हर वर्ष की तरह इस साल भी भव्य शोभायात्रा निकाली गई। ये पारंपरिक प्रिया-प्रियतम की रंगीली होली शोभायात्रा अपराह्न मंदिर से प्रारंभ हुई और नगर भ्रमण के पश्चात मंदिर प्रांगण में संपन्न हुई। शोभायात्रा में ठाकुर राधावल्लभ लाल और श्रीजी की प्रतिमाएं सुसज्जित रथ पर विराजमान थीं। जैसे ही रथ नगर के मुख्य मार्गों से गुजरा भक्तों ने ठाकुरजी के साथ रंगों की बौछार में मग्न होकर होली खेली।
ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में सोमवार (10 मार्च 2024) को रंगभरनी एकादशी पर द्वापर युग की रंगीली होली साकार हो उठी। मंदिर के पट खुलते ही भक्तों ने ठाकुरजी के रंगीले रसिया स्वरूप के दर्शन किए। जगमोहन में विराजे ठाकुरजी ने श्वेत रंग की विशेष पोशाक धारण कर राधाजी के साथ होली खेली। रंग-बिरंगे सुगंधित पुष्प, इत्र, गुलाब जल, केसर, चंदन, गुलाल और टेसू के फूलों से बना गुनगुना रंग पहले ठाकुरजी पर बरसाया गया और फिर आरती के बाद मंदिर में मौजूद भक्तों पर रंग बरसाया गया। जैसे ही भक्तों पर प्रसादी रंग पड़ा तो मंदिर गगनभेदी जयकारों से गूंज उठा। ठाकुर श्रीबांकेबिहारी के होली खेलने के बाद थक जाने पर उनकी इत्र से मालिश भी करने की परंपरा को निभाया गया। चार मर्तबा मौसमी इत्रों से मालिश कराने वाले बिहारीजी को सभी पांच भोगों के साथ पान के वीरा को भी धराया गया।

ठाकुर श्रीकेशवदेव ने मंदिर के साथ ही शहर में भी भक्तों के साथ होली खेली। उन्होंने शोभायात्रा के बीच नगर का भ्रमण किया। शाम को मंदिर में लठामार होली खेली गई। रंगभरनी एकादशी पर ठाकुर श्रीकेशवदेव महाराज सोमवार को अपने बाल सखाओं के साथ ढोल-नगाड़ों के बीच रथ में विराजमान होकर निकले। गताश्रम नारायण मंदिर विश्राम घाट से होली का डोला निकाला गया। आगे-आगे घुड़सवार बैंडबाजे, श्री कृष्णा सामूहिक संकीर्तन मंडल के गायक कलाकार, मंदिर सेवायत गोस्वामी परिवार के सदस्य और भक्त होली के भजन गाते हुए झूमते चल रहे थे। जगह-जगह ठाकुरजी की भक्तों ने आरती उतारी। डोले पर विराजमान ठाकुरजी के सेवायत गौरव गोस्वामी, शंकर लाल गोस्वामी भक्तों को प्रसाद वितरण कर रहे थे। विश्राम घाट से शुरू होकर डोला द्वारिकाधीश, चौक बाजार, मंडी रामदास, डीग गेट, जन्मभूमि होते हुए मंदिर प्रांगण पहुंचा। ठाकुरजी के आते ही होली का हुरंगा, लठामार होली शुरू हुई। इस मौके पर सोहनलाल शर्मा, नारायण प्रसाद शर्मा, रूप किशोर खंडेलवाल, हेमंत शर्मा, मनीष रावत, बिहारी लाल गोस्वामी आदि मौजूद रहे। इससे पूर्व सुबह ठाकुरजी का मंत्रोच्चार के बीच पंचामृत अभिषेक किया गया और नवीन वस्त्र धारण कराकर फूल बंगला सजाया गया। ठाकुर जी को मनमोहन सर्राफ, विजय बंसल आदि भक्तों ने होली के रसिया गाकर सुनाए।

रंगभरनी एकादशी पर सोमवार को ठाकुर राधावल्लभ मंदिर से हर साल की तरह इस वर्ष भी भव्य शोभायात्रा निकाली गई। यह पारंपरिक प्रिया-प्रियतम की रंगीली होली शोभायात्रा अपराह्न मंदिर से प्रारंभ हुई और नगर भ्रमण के पश्चात मंदिर प्रांगण में संपन्न हुई। शोभायात्रा में ठाकुर राधावल्लभ लाल और श्रीजी की प्रतिमाएं सुसज्जित रथ पर विराजमान थीं। जैसे ही रथ नगर के मुख्य मार्गों से गुजरा भक्तों ने ठाकुरजी के साथ रंगों की बौछार में मग्न होकर होली खेली। राधावल्लभ लाल स्वयं अपने भक्तों पर गुलाल उड़ाते हुए चल रहे थे और श्रद्धालु इस अलौकिक क्षण का आनंद लेते हुए रंगों में सराबोर हो गए। शोभायात्रा मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर ठाकुरजी का स्वागत किया। सेवायत मोहित मराल गोस्वामी ने बताया कि इस अद्भुत दर्शन और शोभायात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं।
रंगभरनी एकादशी पर श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। श्रद्धालुओं की भीड़ पंचकोसी परिक्रमा के लिए उमड़ पड़ी। एक पल के लिए लोगों को महाकुंभ जैसा नजारा दिखाई देना लगा। रविवार देर रात से ही भक्तों की टोलियां जयकारों के साथ परिक्रमा मार्ग पर जुटने लगीं। राधे-राधे के उद्घोष से वातावरण भक्तिमय हो गया। जगह-जगह श्रद्धालु ऑडियो सिस्टम पर बज रहे रसिया की धुन पर नाचते-गाते और गुलाल उड़ाते हुए दिखाई दिए। भक्तों के उल्लास और भक्ति भाव का ऐसा नजारा हर ओर देखने को मिला। करीब 12 किलोमीटर लंबे परिक्रमा मार्ग पर पैर रखने तक की जगह नहीं थी। मथुरा मार्ग, पानीगांव मार्ग, छटीकरा मार्ग सहित अन्य रास्तों से भी लाखों श्रद्धालु पैदल यात्रा कर परिक्रमा में शामिल होते रहे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिसबल की तैनाती की गई थी। सोमवार शाम तक परिक्रमा जारी रही, जिसमें भक्तों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

अव्यवस्थाओं भी देखने को मिली
श्रीबांकेबिहारी मंदिर परिसर में सोमवार को दर्शन के दौरान अव्यवस्था भी देखने को मिली। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस प्रशासन तो तैनात रहा लेकिन प्राइवेट गार्डों की मनमानी भी हावी रही। कई गार्डों ने श्रद्धालुओं के साथ दुर्व्यवहार किया। जिससे विवाद की स्थिति भी पैदा हो गई, लेकिन पुलिस ने मामले को शांत कर दिया। वहीं वृंदावन बांकेबिहारी मंदिर में सोमवार को भीड़ के दबाव के बीच चार श्रद्धालु बेहोश हो गए। जबकि दो श्रद्धालु चोटिल हो गए। जानकारी के अनुसार दीपक मिश्रा पुत्र रामकुमार मिश्रा के जादौन पार्किंग में अचानक पैर में कुछ लग गया, जिससे खून निकलने लगा। वहीं लुधियाना पंजाब निवासी जसलीन पुत्री रविंदर की गिरने से पैर में चोट आ गई। दोनों को प्राथमिक उपचार दिया गया। इधर, खैर निवासी हेमलता पत्नी जितेंद्र मंदिर में चक्कर खाकर बेहोश हो गईं। मीरा पत्नी ओमेर सिंह भी मंदिर परिसर में अचानक बेहोश हो गईं। इसके अलावा हरियाणा करनाल निवासी सनी पुत्र ओमप्रकाश को भी चक्कर आ गए और वे बेहोश हो गए। आगरा निवासी राधिका पुत्री जगबीर भी चक्कर खाकर गिर गईं। मंदिर प्रशासन और स्थानीय पुलिस ने बेहोश श्रद्धालुओं की सहायता की और उन्हें प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराया। मंदिर प्रशासन ने लोगों से सावधानी बरतने और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर धैर्य बनाए रखने की अपील की है।
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